Monday, 19 August 2019

Dahel Waterfall दहेल झरना

दहेल झरना (Dahel Waterfall)



दहेल झरना एक बहुत ही खूबसूरत और अपने आप में बेहतरीन है. यह लगभग ३५० मीटर की ऊँची चोटी से गिरता है. इस झरने के तट तक पहुंचने के लिए हमें उस पहाड़ी के निचे उतरना पड़ता है. जो बहुत ही आसान नहीं है लेकिन अगर हिम्मत और सहस करे तो आसानी से वहां तक पहुँच सकते है और इस झरने का आनंद उठा सकते है.
यह चित्र निचे उतरते समय रस्ते के मध्य से लिया गया है
यह चित्र जहा से हमें झरने के लिए उतरना हे वह से लिया गया है
यह झरना निनाई झरने से सिर्फ ३२ किलोमीटर दूर और डेडियापाडा से ६२ किलोमीटर दूर है जबकि निनाई झरना डेडियापाडा से ३७ किलोमीटर की दूरी पर है. निनाई झरना की तरफ जाने के लिए हमें सगाई से ५.५  किलोमीटर आगे दायीं तरफ मुड़ना है जो दहेल के लिए जाता है जबकि वहां ठीक ३०० कदम आगे जाने के बाद एक रास्ता बायीं तरफ जाता है जो निनाई झरने तक हमें पहुंचा देगा. वहा पर एक बोर्ड भी लगाया है जिसमे दर्शाया गया है दहेल के लिए जाने वाला रास्ता.
दाहिने मुड़ने के बाद २.२ किलोमीटर के बाद फिर बाएं मुड़ना हे जो दहेल झरने की तरफ ले जायेगा 
दहेल जाने के वाला यह रास्ता थोड़ा अच्छा न होने की वजह से जाने में और वहां पहुंचने में कुछ टाइम ज्यादा लगता है. हम डेडियापाडा से निनाई लगभग 1.३० घंटे में पहुंच जाते है और वही निनाई से दहेल जाने में कम से काम 2-३ घंटे भी लग जाते है | जैसे ही हम दहेल के लिए मुड़ेंगे पतला सा छोटे- छोटे कंक्रीट वाले रोड जो हमें तेज वाहन चलाने में बाधा करते है लेकिन इसका भी एक अलग ही मजा है जो हम शहर में रहकर सिर्फ टेलीविज़न और घरो के दीवारों में टंगे चित्र में ही देख पाते है, इसलिए अगर हम तेज से चलेंगे तो सायद जो आस-पास प्रकृत निर्मित हरे भरे खेतों, उसमे काम करने वाले किसान,  छोटे-छोटे नालो से बहते हुए बारीस के पानी जो खेतो को सींचते है हम उसे अपने नज़रों से खो देंगे और ये सब देखने से हम वंचित रह जायेंगे | हमें यहीं ये सब देखने को मिलेगा इसलिए हमें बिना अनदेखा किये हुए आस-पास के वातावरण को निहारते हुए धीरे धीरे चलते रहना है | हमें ये भी तो नहीं पता की कब किसकी नजर लग जाये इस जगह या इलाके को और देखते ही देखते ये प्रकृत के खूबसूरत नज़ारे लुप्त हो जाये या लुप्त कर दिए जाएँ.
पुरे २५ से ३० किलोमीटर तक हमें ऐसा ही दृश्य देखने को मिलता है

सड़क छोटे छोटे गावों से होकर गुजरता है जहा अनेक प्रकार की खूबसूरती जैसे पहाड़ो से होकर निलती हुई सड़क और उसमे हरे हरे घासों से सनी हुए मैदान, दूर दराज़ में मिटटी और ईंट से बने छोटे छोटे घर मानो ऐसा लग रहा है की हम हमारे शहर से थोड़े दूर पर नहीं कही पहाड़ पर बसे जगह पर आ गए है | यह सुंदरता अपने आप में महान और अविश्वसनीय है | वर्षा ऋतू के अगस्त महीने में हम यहाँ आये है. ऊँचे ऊँचे पहाड़ों पर बसे छोटे छोटे गाँवो जहा पर कोई भी आधुनिक सुविधाएं नहीं है जैसे पेट्रोल पंप, एटीएम जैसी सुविधाएँ जो की ५०-६०-७० किलोमीटर तक नहीं है फिर भी वहां के लोग खुस है और स्वस्थ है और हम जिनके पास सब कुछ होते हुए भी कभी इतना खुस नहीं रह पाते है.

हम वहा पहुंचने के बाद हमें दूर दूर तक कोई भी पहचान नहीं मिल रहा था की कैसे दहेल झरने तक जाएँ फिर हम एक दुकान वाले से जानकारी ली की दहेल झरना कहाँ है और उस तक कैसे पहुँचाना है तो उसने बताया की यही पर है लेकिन उसके लिए आपको अपना मोटरसाइकिल को यही पर रख कर थोड़ी दूर तक पैदल जाना पड़ेगा फिर भी थोड़ी आपको परेशानी हो सकती है इसलिए सुझाव है की आप यहीं गाव के किसी लड़के को लेकर जाएँ तो वो आपको आपको अच्छे से दिखा लाएगा और आप अपने खुसी से जो भी उसे देना होगा दे दीजियेगा. हम बड़े खुस हुए और फिर हमने अपनी मोटरसाइकिल को वही पर रखा और उन लड़को के साथ चल पड़े.
थोड़ी दूर लगभग 1000 कदम चलने बाद गांव के लड़के ने बताया की अब हमें ध्यान से निचे की तरफ उतरना ह. यहाँ कोई भी आदमी के द्वारा बनाया हुआ सुविधा नहीं है सब प्राकृत के द्वारा बनाया हुआ है और उसी में कुछ रहना पड़ेग. अब जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे झरने के समीप पहुंचते जा रहे थे वहां से आती हुई पानी की कलकलाती हुई आवाज़ हमारे कानो को अत्यधिक प्रेरित कर रहा था और हम अधिक उत्सुक होते जा रहे थे हमें निचे उतरने में थोड़ा मुश्किल तो हो रहा था लेकिन हमें झरने को देखने की उत्सुकता भी थी इसलिए सम्हल-सम्हल कर निचे उतर रहे थे लगभग ३०-४५ मिनट के बाद एक ऐसी जगह पर पहुंचते है जहाँ पर दो झरने दिखाई पड़ते है. झरनो से निकलने वाले पानी और उसका बहाव बहुत ही ज्यादा था और उनके दहाड़ जैसे आवाज को सुन कर मन गदगद हुआ जा रहा था.
दाहिने तरफ स्थित झरने की तरफ हम उसके निचे तले तक जा सकते लेकिन बाएं तरफ स्थित झरने का आनंद हमे यही से उठाना पड़ेगा. यह दोनों झरनो का मिलन स्थान है जहां दोनों झरनो का पानी आकर मिलता है.

दाहिने तरफ स्थित झरने तक जाने के लिए भी हमें कठिन परिश्रम करना पड़ा बहुत आसान नहीं है  लेकिन वहा तक पहुंचने के बाद अविश्वसनीय चित्र सामने आता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है और ये हमें पिछले जितने भी कस्ट उठाये है यहाँ तक आने के लिए वो सब भुला देता है वहां  पर खड़े खड़े हमे यह प्रतीत होता हे की हम यह सब सही में अपने आँखों से ही देख रहे है या सपने में है. हमारे शरीर से लगभग ५० गुना ऊँचे चोटी से गिरता हुआ पानी और उससे निकलने वाली छोटी-छोटी पानी बुँदे फुहारों के रूप में जब हमें छु कर जाती हे तो ऐसा प्रतीत होता है के लोग क्यों झूठ कहते है  के धरती पर स्वर्ग नहीं है अरे कभी कहीं जा कर तो देखे और उसे एहसास कर के तो देखें . इस जगह पर बिताया हुआ एक-एक पल अब आंखे बंद करने के बाद फिर से शुरू हो जाता है और मुखड़े पर एक मुस्कान सी आ जाती है, सबसे अच्छी बात जहा पर झरने का पानी गिरता है  वहा प्राकृत के द्वारा बनाया गया एक चबूतरा है जिस पर हमे बस ठहरना है बाकी झरने से निकलता हुआ पानी हमें हर पल छु कर और दुनिया की सबसे खूबसूरत एहसास दे कर जाता है. में लगभग आधे घंटे तक वह ठहरने और झरने का लुफ्त उठाने के बाद वापसी शुरू कर दी और फिर अपने उस स्थान पर पहुंचा जहा दोनों झरनो का पानी मिलता है.
बायीं तरफ स्थित झरने का मजा हम यहीं उठा सकते है क्यूकि साथ आये गांव के लड़के ने बताया की उस झरने का पानी गिरने वाले जगह पर कोई जाता नहीं है और वहां नहीं जा सकते. उसकी बातो को सुन कर कर और वहा के वातावरण और उस झरने से आने वाले पानी की रफ़्तार की आवाज़ को सुनकर ही ऐसा प्रतीत हो रहा था इस झरने के नजदीक तक नहीं जा सकते है. इसका लुफ्त तो हम यही से ही उठा सकते हे लेकिन सावधानी से क्युकी इसके पानी का वेग इतना ज्यादा था की पानी के बहाव से ही पता चल जाता था और हमने तलाशा भी किया निचली स्तर पर जो पानी गिर रहा था वहां पर उसके निचे हम जाकर नाहाना चाहे लेकिन ६० सेकंड भी नहीं रुक पाए पानी की बहाव हमें आगे की तरफ धकेल देता था फिर हम जहां बहाव कम था वही पर नहाने का आनंद लिया उसके बाद धीरे धीरे वापस ऊपर की तरफ चढ़ाना शुरू कर दिया.

प्रकृत भी हमारे पक्ष में था हर आधे घंटे में मौसम बदल रहा था कभी धूप कभी बारिश और कभी कोहरा जैसा हो रहा था. हमने बहुत ज्यादा आनंद उठाया जो ऐसा लगता है की इस लेख में 10% भी बयां नहीं कर पाए.




गांव से लिया हुआ दृश्य


ये हमारे छोटे छोटे सहायक जिनके बिना हम सायद ये सुंदरता को नहीं निहार पाते



सबसे अच्छी बात हमें यहाँ पर किसी भी प्रकार का प्लास्टिक या कचरा देखने को नहीं मिला यह अपने आप में सबसे बड़ी उपलब्धि है और भगवन करे लोग यहाँ इस प्राकृत के सुंदरता को बनाये रखे और यह दृश्य हमेशा बनी रहे.


गाडी चलते समय हमेशा हेलमेट पहने.
गरीबो को सहायता करें .
सीट बेल्ट का उपयोग करे अगर आप कार चला रहे हों.
प्लास्टिक से नफरत करे.
जय भारत : जय हिंदुस्तान | जय हो धरती माता | जय हो प्रकृत महराज


2 comments:

  1. Very nice brother....and thank you so much for the explaination.... seems really beautiful in monsoon....

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